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Reality of Exit Poll 2024
कौन सा एग्जिट पोल सही है और किस पर भरोसा करना चाहिए। लाखों लोग इस सवाल को लेकर पीछे पड़े नतीजा तो आएगा 4 जून को और उस दिन एक ही नतीजा आएगा। एक ही नंबर होगा लेकिन 1 जून को मतदान समाप्त होने के बाद नंबरों की भरमार lag जाएगी। हर चुनाव के बाद सबसे बड़ा सवाल यही हो जाता है कि किस के एग्जिट पोल पर भरोसा करें। Reality of Exit Poll 2024
किसका सही होगा। अब तो हालत यह हो गई है कि कई लोग सट्टा बाजार के आंकड़े से भी खुश हो लेते हैं। किस एग्जिट पोल पर भरोसा करना चाहिए, किस पर नहीं और क्यों नहीं करना चाहिए भारत में एग्जिट?
पोल करने वाली कंपनियों के दावे सट्टा बाजार के आंकड़े राजनीतिक दलों के अपने-अपने स्तर में खुफिया विभाग के सर्वे तमाम तरह के नंबर मार्केट में घूमने लग जाए। इनके बीच 2-4 एंकर और पत्रकार भी अपना नंबर मार्केट में छोड़ चुके हैं। किसका नंबर सही है यह सवाल ही गलत।
कोई नंबर जारी नहीं किया है। ना दावा किया है कि किसकी सरकार बनेगी क्योंकि मेरे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है। मैं भी कई पत्रकारों से बात करता हूं। बहुत से लोगों से बात करता हूं कॉल! कभी मैं भी इस तरह के दावे दोस्तों के बीच कर लिया करता था और sahi भी निकल आते थे लेकिन अब नहीं करता दो कारणों से एक कि इससे असली मुद्दों पर बात करने की जगह कम हो जाती है उनसे ध्यान हटता है और दूसरा सर्वे का अपना एक वैज्ञानिक तरीका होता है।
दोनों ही स्थिति में मैं उस वैज्ञानिक तरीके का पालन नहीं कर सकता। इतना संसाधन भी नहीं है तो दावा करने से बचना चाहिए।
इसके लिए कई घंटे लगते और बहुत सारी रिपोर्ट करनी पड़ जाती।
Divert the Real Topic by Exit Poll “Reality of Exit Poll 2024”
चुनाव शुरू होते ही मीडिया एक सवाल पैदा करता है। कौन बनेगा प्रधानमंत्री या कौन बनेगा मुख्यमंत्री काफी चर्चा स्टूडियो में आ जाए और आपको लगता है कि किसके नंबर पर भरोसा करें। नंबर का सारा मामला पत्रकारिता ना करते हुए पत्रकारिता में बने रहने का है। Reality of Exit Poll 2024
नंबर बताना चुनावी राजनीति का सबसे रॉयल जिम्मेदार काम है। और आलसी काम एंकर को पता है कि उसने काम को इस बार भी कुछ खास किया नहीं लेकिन उसकी पूंछ बनी रहे मीडिया में। इसलिए वह नंबर जारी करने लग जाता है कि मेरा नंबर है सा है मेरा विश्लेषण ऐसा है। एक दो लाइन ट्विटर पर लिखकर अगले चुनाव तक के लिए गायब हो जाता है।
Total 543 seats in India Lok Sabha Election
543 सीटों पर चुनाव हुए हैं। क्या किसी पत्रकार ने 543 सीटों की यात्रा की है? ढाई महीने के इस चुनाव में वह कुछ ही राज्य का दौरा कर सका होगा और यह कि राज्य की 3 से 4 सीटों पर गया होगा।
इस दौरान वह कितने लोगों से मिला होगा, कहां मिला होगा भारत जैसे देश में क्या अर्थ 400 हो या 4 हजार लोगों से मिलकर दावा कर सकते हैं कि बीजेपी को इतनी सीटी ya कांग्रेस को इतनी आएंगी यही सवाल पूछ लेंगे कि आप का दावा तो ठीक लगता है। बताइए आप इस दावे पर पहुंचे ?
Exit Poll gone Wrong
भारत में एग्जिट पोल का इतिहास सही और गलत दोनों का है जिसका सही होता है। उसके बारे में भी आप नहीं जानते कि उसने सर्वे कैसे किया? सैंपल का आकार कितना बड़ा था, सवाल किस तरह से पूछे गए थे? Reality of Exit Poll 2024
नंबर जानने की जल्दी आपको भी रहती है और चैनल वाले तो आपसे भी जल्दी में रहते हैं। सीटों की संख्या को लेकर जिज्ञासा पैदा करते हैं। गड़बड़ी के कारण है कि सिर्फ भूल को लेकर गड़बड़ी हो जाती है। स्क्रीन पर कोई ना कोई नंबर लग रहा होता कि आपका ध्यान बना रहे ना बदलें। और उसी चैनल को देखते रह जाएं की TRP आ जाए।
कई बार आप अपनी इच्छा के अनुसार किसी एक दिन पूर्व को स्वीकार कर लेते हैं और जब निकलता है तो आपका दिल टूट जाता गया है कि आप सर्वे को लेकर गुस्सा भी हो जाते हैं। इससे सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि यह एग्जिट पोल के कारण आम चुनाव की प्रक्रिया पर भी संदेह करने लग जाते हैं।
Game of TRP
जवाब किसी कंपनी के सर्वे के गलत या सही होने का जिक्र करते हैं तो फिर आपके पास उस कंपनी की सारी प्रक्रिया की जानकारी भी होनी चाहिए जो हमारे पास नहीं है। जब सर्वे करते हैं तो अब पब्लिक कर देते हैं और खुद भी चेक कर सकते हैं कि उन्होंने कितने लोगों से पूछा, कहां कहां जाकर किस तरह के सवाल पूछे, Aaj Tak News live with Exit poll.
लेकिन कई कंपनियां एग्जिट पोल वाली अपना डाटा पब्लिक में नहीं देती। डाटा साइंस साइंस का मतलब यही होता है कि दूसरा भी ठीक से उसे आज मार सके पर सके तो एक फूल वाली कंपनी अपना डाटा पब्लिक क्यों नहीं करती करती है या नहीं। यह सवाल पूछिए। तभी आप जानेंगे कि उस कंपनी ने अपनी मर्जी से कहा कि दबाव से कोई नंबर दे दिया या वैज्ञानिक तरीकों का पालन करते हुए सीटों के नंबर बता रही है। Reality of Exit Poll 2024